ॐ शब्द को सबसे पहले उपनिषद (जो की वेदातं से जूड़ा लेख है) मे वणितं किया गया था | उपनिषेदो मे ॐ का अलग अलग तरह से वणंन किया गया है, जैसे कि “ब्रह्मांडीय धवनी” या “रहश्यमय शब्द” या “दैविय चीजो की प्रतिघ्यान” ।
संस्कृत मे ॐ शब्द तीन अझरो से बना है। जैसे की “अ” , “उ” और “म” जब “अ” और “उ” को जोड़ा जाता है तो यह “ओ” अझर बन जाता है। इसके उचारर में कोई ऐसे शब्द बने तो इसमे कोइ हैरानी की बात नही है। क्योकि यदि आप क्रमसः: “अ” और “उ” को बार बार दोहराते है, तो आप पाएगे कि मिश्रर का परिणामसवरूप ध्वनि “ओ” सवभाविक रूप से आती है।
जब धवनियो को एक साथ जोड़ा जाता है तो ” ॐ ” का अर्थ होता है की शूरूआत और अंत। इसलिए सभी भाषाओ मे सभी प्रकार की धवनियो को इस एकल शब्द “ॐ ” का उचारण के द्वारा भगवान कि पहचान करने मे मदत मिलती है। इसे ब्रमांड की शक्ति भी कहते है| ईश्वर कि शूरूआत और मधय ब्रमांड के अंत का श्रोत है।
ॐ शब्द उच्चारण –
ओम शब्द सम्भवतः अपने प्रतिक “ॐ” से जयादा पहचाना जाता है। ॐ का उचारण ही शर्बाधिक महतवपूण है। वैदिक पंरपरा सिखाती है कि ध्वनियों को किसी उद्देश्य के साथ बनाया गया था। इसलिए उचारण के नयमो का पालन करना जरूरी है। रोजमरा की जिदंगी मे हम सभी जानते और महसूस करते है कि संगीत चाहे वो कैसा भी हो हमारी मनोष्टीती को प्रभावित करती है। इसी तरह वैदिक ध्वनियों और ओम जैसे शब्दों का उचारण पारंपरिक निदेशो के अनूसार किया जाता है। ॐ की जाप या धयान इसका अर्थ और महत्वा दिमाग मे रखते हूवे करना चाहिए की ॐ का जाप एकल उतपनन करता है जो पूरे शरिर को शांति प्रदान करता है।
ॐ का मह्त्व :
१. ईश्वर का अभिवक्ति शब्द रहश्यवादी धवनी ॐ “प्रवण” है।
२. इसके अर्थ को समझकर धयान करना चाहिए|
३. ॐ का धयान करने से सभी बाधाए दूर हो जाता है और साथ हि खूद को समझना आसान हो जाता है।
४. रोग निराशा आलसयं कामूकता झूठी धारणा अनिशचय यह सब मन की बधाए है। ॐ का ध्यान करने से सब कष्ट दूर होती है।
५. मानसिक विकृतियो के साथ शारिरिक दर्द, शरीर मे कंपन और सास लेने मे परेशानी शामिल हो तो ये सब ओम के ध्यान करने से दूर हो जाता है|
ॐ शब्द को हिन्दू सनातन धर्म में महत्व :
हिन्दू धर्म मे ॐ सबसे महत्वपूर्ण आध्यात्मिक प्रतीकों मे से एक है। यह आत्मा “स्वयं के भितर” और ब्रम्हा (परम वास्तविक ब्रमंडाव सर्वोच्या है। यह पूजा और निजी प्रथानवो के द्वारान शादियो के अनूषठान के समारोहो मे शादी के समय और कभी कभी धयान और adhyatmik ध्यान से पहले और किसी पूजा के द्वारं ॐ सब्द का ध्यान किया जाता है।
ॐ ब्रमांड की शक्ति है जो आपको दुर्बल अवस्था में आपके बार बार ॐ शब्द की उच्चारण और ध्यान करने से मिलती है|